(मुळ हिंदी कविता )
देख, दहलीज़ से काई नहीं जाने वाली
ये ख़तरनाक सचाई नहीं जाने वाली
कितना अच्छा है कि साँसों की हवा लगती है
आग अब उनसे बुझाई नहीं जाने वाली
एक तालाब-सी भर जाती है हर बारिश में
मैं समझता हूँ ये खाई नहीं जाने वाली
चीख़ निकली तो है होंठों से मगर मद्धम है
बंद कमरों को सुनाई नहीं जाने वाली
तू परेशान है, तू परेशान न हो
इन ख़ुदाओं की ख़ुदाई नहीं जाने वाली
आज सड़कों पे चले आओ तो दिल बहलेगा
चन्द ग़ज़लों से तन्हाई नहीं जाने वाली
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देख, दहलीज़ से काई नहीं जाने वाली
ये ख़तरनाक सचाई नहीं जाने वाली
कितना अच्छा है कि साँसों की हवा लगती है
आग अब उनसे बुझाई नहीं जाने वाली
एक तालाब-सी भर जाती है हर बारिश में
मैं समझता हूँ ये खाई नहीं जाने वाली
चीख़ निकली तो है होंठों से मगर मद्धम है
बंद कमरों को सुनाई नहीं जाने वाली
तू परेशान है, तू परेशान न हो
इन ख़ुदाओं की ख़ुदाई नहीं जाने वाली
आज सड़कों पे चले आओ तो दिल बहलेगा
चन्द ग़ज़लों से तन्हाई नहीं जाने वाली
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मराठी अनुवाद
पहा या उंबरठ्यावरील लाल डाग जाणार नाही
भयानक वास्तव येथील मिटवले जाणार नाही
हे तरी किती बरे आहे , आपल्याच श्वासांची झुळुक वहात आहे
आता ही आग ते मिटवू शकणार नाहीत
पावसाने एक तळे भरुन जात आहे
मला वाटते की हा खड्डा आता बुजवला जाणार नाही
ओठातुन किंकाळी निघाली आहे पण तीही कुजबुज होईल इतकीच
या बंद घरांना ती ऐकु जाणार नाही
तू खुपच त्रासला आहेस, त्रासुन जाऊ नको
या दैवतांची महिमा लगेच संपणार नाही
आज सडकेवर उतरू या, मनाला दिलासा मिळेल
काही गजलांनी ही उदासीनता आता संपणार नाही.
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