भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ
आजकल दिल्ली में है ज़ेर-ए-बहस ये मुदद्आ ।
मौत ने तो धर दबोचा एक चीते कि तरह
ज़िंदगी ने जब छुआ फ़ासला रखकर छुआ ।
गिड़गिड़ाने का यहां कोई असर होता नही
पेट भरकर गालियां दो, आह भरकर बददुआ ।
क्या वज़ह है प्यास ज्यादा तेज़ लगती है यहाँ
लोग कहते हैं कि पहले इस जगह पर था कुआँ ।
आप दस्ताने पहनकर छू रहे हैं आग को
आप के भी ख़ून का रंग हो गया है साँवला ।
इस अंगीठी तक गली से कुछ हवा आने तो दो
जब तलक खिलते नहीं ये कोयले देंगे धुआँ ।
दोस्त, अपने मुल्क कि किस्मत पे रंजीदा न हो
उनके हाथों में है पिंजरा, उनके पिंजरे में सुआ ।
इस शहर मे वो कोई बारात हो या वारदात
अब किसी भी बात पर खुलती नहीं हैं खिड़कियाँ ।
आजकल दिल्ली में है ज़ेर-ए-बहस ये मुदद्आ ।
मौत ने तो धर दबोचा एक चीते कि तरह
ज़िंदगी ने जब छुआ फ़ासला रखकर छुआ ।
गिड़गिड़ाने का यहां कोई असर होता नही
पेट भरकर गालियां दो, आह भरकर बददुआ ।
क्या वज़ह है प्यास ज्यादा तेज़ लगती है यहाँ
लोग कहते हैं कि पहले इस जगह पर था कुआँ ।
आप दस्ताने पहनकर छू रहे हैं आग को
आप के भी ख़ून का रंग हो गया है साँवला ।
इस अंगीठी तक गली से कुछ हवा आने तो दो
जब तलक खिलते नहीं ये कोयले देंगे धुआँ ।
दोस्त, अपने मुल्क कि किस्मत पे रंजीदा न हो
उनके हाथों में है पिंजरा, उनके पिंजरे में सुआ ।
इस शहर मे वो कोई बारात हो या वारदात
अब किसी भी बात पर खुलती नहीं हैं खिड़कियाँ ।
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भुख आहे तर दम धर, भाकरी नाही तर काय झाले
आजकाल हा मुद्दा दिल्लीत मोठा विवादास्पद आहे
मृत्यूने दाढेत धरुन खाली दाबले आहे चित्त्याप्रमाणे
जीवनाने गोंजारले आहे तेही अंतर राखुन
याचना केली तरी येथे काहीच फरक पडत नाही
पोटभर शिव्या दे , मन भरुन शाप दे
काय कारण असावे येथे तहान फार लागते
लोक म्हणतात येथे कधी तरी विहीर होती
तुम्ही हातमोजे घालुन आगीला धरु पाहत आहात
तुमच्या पण रक्ताचा रंग काळवंडला आहे
या शेकोटी पर्यंत गल्लीतील हवा पोहचु द्या
जो पर्यंत फुलणार नाहीत निखारे, तो पर्यंत हे कोळसे धुर ओकतील
मित्रा आपल्या देशाच्या नशीबावर नाराज होऊ नको
त्यांच्या हातात आहेत पिंजरा अन् पिंजर्र्यात आहेत पोपट
या शहरात जेव्हा निघते लग्नाची वरात अथवा दंगा करणारा जमाव
तेव्हा आता कोणत्याच घटनेसाठी या घरांच्या खिडक्या उघडणार नाहीत.
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