मुळ हिंदी कविता
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए
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मराठी अनुवाद
पर्वता इतकी पीडा उंच झाली आहे, ती आता वितळली पाहिजे
या हिमालयातुन आता एखादी तरी गंगा निघाली पाहिजे
आज ही भिंत एखाद्या पडद्याप्रमाणे डोलु लागली आहे
अट हीच होती की हिचा पायाच उध्वस्त केला पाहिजे
प्रत्येक सडकेवर, गल्लीत, नगरात, गावांत
हात उंचावत प्रेत चालले पाहिजे
फक्त हंगामा उभा करणे माझा उद्देश नाही
माझा संघर्ष आहे की हा चेहरा बदलला पाहिजे
माझ्या अंतरी नाही तर तुझ्या अंतरी तरी
जेथे आग असेल तेथे आता ही आग पेटली पाहिजे
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए
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मराठी अनुवाद
पर्वता इतकी पीडा उंच झाली आहे, ती आता वितळली पाहिजे
या हिमालयातुन आता एखादी तरी गंगा निघाली पाहिजे
आज ही भिंत एखाद्या पडद्याप्रमाणे डोलु लागली आहे
अट हीच होती की हिचा पायाच उध्वस्त केला पाहिजे
प्रत्येक सडकेवर, गल्लीत, नगरात, गावांत
हात उंचावत प्रेत चालले पाहिजे
फक्त हंगामा उभा करणे माझा उद्देश नाही
माझा संघर्ष आहे की हा चेहरा बदलला पाहिजे
माझ्या अंतरी नाही तर तुझ्या अंतरी तरी
जेथे आग असेल तेथे आता ही आग पेटली पाहिजे
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